सब दिन होत न एक समाना ।

सब दिन होत न एक समाना ।। एक दिन राजा हरिश्चंद्र गृह, कंचन भरे खजाना । एक दिन भरै डोम घर पानी, मरघट गहे निशाना ।। एक दिन राजा रामचंद्र जी, चढ़े जात विमाना । एक दिन उनका बनोबास भये, दशरथ तज्यो पराना ।। एक दिन अर्जुन अर्जुन महाभारत में,जीते इन्द्र समाना । एक दिन भिल्लन लूटी गोपिका, वही अर्जुन वही बाना ।। एक दिन बालक भयो गोदी मा, एक दिन भयो जवाना । एक दिन चिता जलै मरघट पर, धुवाँ जाता आसमाना ।। कहैं कबीर सुनो भाई साधो, यह पद है है निर्बाना । यह पद का कोइ अर्थ लगावै, होनहार बलवाना ।। भावार्थ ~ किसी के भी जीवन के सभी दिन एक समान नहीं बीतते । राजा हरिश्चंद्र का एक दिन दिन था जब उनके खजाने में सोना भरा था । परंतु उन्हीं का एक दिन ऐसा आया कि उनका सब कुछ छिन गया और स्वयं काशी में मेहतर के घर पानी भरते रहें और शमशान में लाश जलाने का चिन्ह लिए हुए दिन बिताते और लाश जलाते रहें । श्री रामचंद्र का एक दिन था जब विमान पर बैठकर घूमते थे, रथ पर तो चलते ही थे । एक दिन आया जब उनका वनवास हो गया और जंग...