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Showing posts from September, 2018

माया महा ठगिनी हम जानी ।

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माया महा ठगिनी हम जानी । त्रिगुणी फाँस लिये कर डोले, बोले मधुरे बानी ।। केशव के कमला ह्वै बैठी, शिव के भवन भवानी ।। पंडा के मूरति ह्वै बैठी, तीरथ हूँ में पानी ।। योगी के योगिन ह्वै बैठी, राजा के घर रानी । काहू के हीरा ह्वै बैठी, काहू के कौड़ी कानी ।। भक्ता के भक्तिनी ह्वै बैठी, ब्रह्मा के ब्रह्मानी । कहहिं कबीर सुनो हो सन्तो, ई सब अकथ कहानी ।। भावार्थ  - मैंने समझ लिया है कि माया महा ठगिनी है । यह त्रिगुणात्मक फंदा लेकर घूमती है और मीठी-मीठी बातें करके जीवों को बांध लेती है । यह केशव के घर में कमला, शिव के घर में पार्वती तथा ब्रह्मा के घर में सरस्वती बन कर बैठी है । यह पंडा के घर में मूर्ति एवं तीर्थों में पानी बनकर लोगों को छलती है । यह साधु-संन्यासियों के आश्रमों में दासी बनकर उन्हें छलती है और राजा के घर में रानी बनकर छलती है । यह किसी के घर में हीरा बनकर तथा किसी के घर में फूटी कौड़ी बनकर उन्हें छलती है । यह भक्तों के घर में भक्तिन बनकर उन्हें बांधती है । कबीर साहेब कहते हैं कि हे संतों ! सुनो, माया की कहानी अकथनीय है । यह अनेक रूपों में होकर जीवों को बांधती है । अतः

बड़ा वही जिसकी बड़ी बुद्धि एवं बड़े संस्कार हैं ।

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कारे बड़े कुल ऊपजै, जोरे बड़ी बुधि नाहिं । जैसा फूल उजारिका, मिथ्या लगि झर जाहिं ।। यदि बड़ी बुद्धि नहीं है तो नहीं है तो बड़ी जाति में पैदा होने से क्या हुआ जैसे जनशून्य जंगल में फूल खिले और और व्यर्थ में झड़ गये, वैसे उत्तम मानव-जाति में जन्म लिया, परंतु आत्मकल्याण और जनकल्याण का कोई भी काम के बिना संसार से चला गया, तो उसका जन्म व्यर्थ गया । बड़ा कुल एवं उच्च कुल उच्च कुल एवं उच्च कुल मानव-कुल है । पूरे मानव का एक ही कुल एवं वंश है जो संसार में सर्वोच्च है । मानव के समान संसार में कोई जाति नहीं है । परंतु ऐसे उत्तम मानव-कुल में जन्म लेकर जीव ने क्या कमाया जबकि उसकी बुद्धि मानवीय गुणों से संपन्न एवं विवेकवती नहीं है ! बड़े कुल में जन्म लेने की शोभा तब है जब उसमें बड़ी बुद्धि हो ।        बड़ी बुद्धि का अर्थ है विचार एवं विवेक-प्रधान बुद्धि का होना । जिसमें बड़ी बुद्धि होती है वह अपने आपको बड़ा तथा दूसरे को छोटा नहीं मानता, किन्तु वह दूसरे सब का आदर करता है और स्वयं विनम्र रहता है । बड़ी बुद्धि वाला वह है जो अपने आप के प्रति संयमशील है और दूसरों की यथाशक्ति सेवा करता है । विन

सब दिन होत न एक समाना ।

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सब दिन होत न एक समाना ।। एक दिन राजा हरिश्चंद्र गृह, कंचन भरे खजाना । एक दिन भरै डोम घर पानी, मरघट गहे निशाना ।। एक दिन राजा रामचंद्र जी, चढ़े जात विमाना । एक दिन उनका बनोबास भये, दशरथ तज्यो पराना ।। एक दिन अर्जुन अर्जुन महाभारत में,जीते इन्द्र समाना । एक दिन भिल्लन लूटी गोपिका, वही अर्जुन वही बाना ।। एक दिन बालक भयो गोदी मा, एक दिन भयो जवाना । एक दिन चिता जलै मरघट पर, धुवाँ जाता आसमाना ।। कहैं कबीर सुनो भाई साधो, यह पद है है निर्बाना । यह पद का कोइ अर्थ लगावै, होनहार  बलवाना ।। भावार्थ ~  किसी के भी जीवन के सभी दिन एक समान नहीं बीतते । राजा हरिश्चंद्र का एक दिन दिन था जब उनके खजाने में सोना भरा था । परंतु उन्हीं का एक दिन ऐसा आया कि उनका सब कुछ छिन गया और स्वयं काशी में मेहतर के घर पानी भरते रहें और शमशान में लाश जलाने का चिन्ह लिए हुए दिन बिताते और लाश जलाते रहें ।               श्री रामचंद्र का एक दिन था जब विमान पर बैठकर घूमते थे, रथ पर तो चलते ही थे । एक दिन आया जब उनका वनवास हो गया और जंगल-जंगल पैदल भटकते फिरे और अयोध्या में उनके पिता दशरथ ने शरीर छोड़ दिया ।

गुरु से कर मेल गँवारा ।

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गुरु से कर मेल गंवारा, का सोचत बारम्बारा ।। जब पार उतरना चहिए, तब केवट से मिल रहिये । जब उतरि जाय भवपारा, तब छूटे यह संसारा ।। जब दरशन को दिल चहिये, तब दर्पण माँजत रहिये ।। जब दर्पण लागी काई, तब दरस कहाँ से पाई ।। जब गढ़ पर बजी बधाई, तब देख तमासे जाई । जब गढ़ बिच होत सकेला, तब हंसा चलत अकेला ।। कहैं कबीर देख मन करनी, वाके अंतर बीच कतरनी । कतरनि की गाँठि न छूटे, तब पकरि पकरि यम लूटे ।। भावार्थ - हे  मूढ़ मन ! अहंकार में पड़कर क्या बारंबार सोचता है, सद्गुरु की संगति कर, उनके पास बैठ, उनसे मन मिला मिला और उनके चरणों में श्रद्धा कर । किसी को जब नदी के के पार जाना होता है तब वह मल्लाह के पास जा विनयावनत हो उससे मिलता है । इसी प्रकार जिसे संसार-सागर से पार जाना हो, उसे चाहिए कि वह बोध-वैराग्य संपन्न सद्गुरु की शरण में समर्पित हो जाय । जब साधक सद्गुरु के सहारे से मन के भवसागर से पार हो जाता है, तब उसका यह संसार-प्रपंच छूट जाता है ।                               जब कोई अपने शरीर का चेहरा देखना चाहता है, तब वह दर्पण को मांजकर उसे चमका देता है । क्योंकि स्वच्छ दर्पण में ही चेहरा