संगति कीजै साधु की
संगति कीजै साधु की , हरै और की व्याधि l ओछी संगति कूर की , आठों पहर उपाधि ll संगति कीजै साधु की , हरै और की व्याधि l ओछी संगति कूर की , आठों पहर उपाधि ll संतों की संगत करो , वे दूसरे के मन के विकार एवं पीड़ा को दूर करते हैं l निर्दय , कायर एवं मूर्ख की संगत करने से मानो चौबीसों घंटे छलावा एवं झगड़े में पड़ा रहना है l मानव-जीवन में संगत का बहुत बड़ा महत्व है l अधम-से-अधम लोग भी सज्जनों तथा संतो की संगत से ऊंचे उठ जाते हैं और अच्छे-अच्छे लोग कुसंगत में पड़कर अपना पतन कर लेते हैं l जीवन में जितने दुर्गुण एवंदुर्व्यसन आते हैं , प्रायः कुसंगत के कारण और आदमी ऊपर उठता है सुसंगत के कारण l कोयला में आग ना होने से उसको छूने पर वह भले ही ना जलाये , परंतु काला दाग तो लगा ही देता है l इसी प्रकार गलत आदमी का संग करने से हम में तत्काल भले ही दोष ना आयें , परंतु लोगों की दृष्टि से हम गिर तो जाएंगे ही l एक ने एक से कहा कि मुझे यह बता दो कि वह किसके साथ बराबर उठता-बैठता है , तो मैं बता दूं कि उ