या तन धन की कौन बड़ाई l
या तन धन की कौन बड़ाई, देखत नैनों में माटी मिलाई ll ll
कंकर चुनि चुनि महल बनाया, आपन जाय जंगल बसाया ll १ ll
हाड़ जरै जस लाकर झूरी, केश जरै जस घास की पूरी ll २ ll
या तन धन कछु काम न आई, ताते नाम जपौ लौ लाई ll ३ ll
कहैं कबीर सुनो मेरे मुनियाँ, आप मुये पीछे डूब गई दुनिया ll ४ ll
भावार्थ – इस शरीर और धन की क्या विशेषता है, ये आंखों से देखते-देखते मिट्टी में मिल जाते हैं l आदमी कंकर-पत्थर चुन-चुन कर भव्य भवन खड़ा करता है l और थोड़े दिनों में उसे छोड़कर खुद जंगल में, श्मशान में स्थायी घर बसाता है l उसकी हड्डी सूखी लकड़ी की तरह जल जाती है और बाल घास के गट्ठे की तरह l अतएव यह पक्का समझ लो कि जिनमें हमें अहंकार-ममकार है वे तन-धन अंत में काम नहीं देंगे l इसलिए लगन के सहित आत्माराम का भजन करो l कबीर साहेब अपने श्रोताओं को प्यार भरे वचन कहते हैं कि ऐ मेरे प्यारे बच्चों ! हमारे स्वयं के मर जाने पर हमारे लिए दुनिया मानो खो जायेगी l
#कहत_कबीर
https://www.facebook.com/SansarKeMahapurush
कंकर चुनि चुनि महल बनाया, आपन जाय जंगल बसाया ll १ ll
हाड़ जरै जस लाकर झूरी, केश जरै जस घास की पूरी ll २ ll
या तन धन कछु काम न आई, ताते नाम जपौ लौ लाई ll ३ ll
कहैं कबीर सुनो मेरे मुनियाँ, आप मुये पीछे डूब गई दुनिया ll ४ ll
भावार्थ – इस शरीर और धन की क्या विशेषता है, ये आंखों से देखते-देखते मिट्टी में मिल जाते हैं l आदमी कंकर-पत्थर चुन-चुन कर भव्य भवन खड़ा करता है l और थोड़े दिनों में उसे छोड़कर खुद जंगल में, श्मशान में स्थायी घर बसाता है l उसकी हड्डी सूखी लकड़ी की तरह जल जाती है और बाल घास के गट्ठे की तरह l अतएव यह पक्का समझ लो कि जिनमें हमें अहंकार-ममकार है वे तन-धन अंत में काम नहीं देंगे l इसलिए लगन के सहित आत्माराम का भजन करो l कबीर साहेब अपने श्रोताओं को प्यार भरे वचन कहते हैं कि ऐ मेरे प्यारे बच्चों ! हमारे स्वयं के मर जाने पर हमारे लिए दुनिया मानो खो जायेगी l
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