मोको कहाँ ढूंढे रे बन्दे l

मोको कहाँ ढूंढे बन्दे, मैं तो तेरे पास में ll ll
ना तीरथ में ना मूरत में, ना एकान्त निवास में l
ना मंदिर में ना मस्जिद में, ना काशी कैलाश में ll१ll
ना मैं जप में ना मैं तप में, ना मैं बरत उपास में l
ना मैं क्रिया कर्म में रहता, नहीं योग संन्यास में ll२ll

नहीं प्राण में नहीं पिंड में, न ब्रह्माण्ड आकाश में l
ना मैं भृकुटी भँवर गुफा में, नहीं नाभि के पास में ll३ll
खोजी होय तुरत मिल जाऊँ, एक पल की हि तलाश में l
कहहिं कबीर सुनो भाई साधो, सब स्वांसों की स्वांस में ll४ll





भावार्थ – आत्मा ही परमात्मा है, यह बोध हो जाने पर, मानो वह अपने आपसे पूछ रहा है कि हे बंदे ! तू मुझे बाहर कहां खोजता है ! मैं तो तेरे पास में हूँ l पास में कहना भी कहने का एक तरीका है l मैं स्वयं वह हूँ जिसे खोज रहा हूँ l

ना मैं तीर्थ में हूं न मूर्ति में हूं, न एकांत निवास में हूं l न मैं मंदिर में हूं न मस्जिद में हूं, और न काशी तथा कैलाश में हूं l न मैं जप में हूं न तप में हूं और न व्रत तथा उपवास में हूं l न मैं क्रिया-कर्म में रहता हूं और न योग तथा सन्यास में रहता हूं l न मैं प्राण में हूँ न पिंड में हूं और न ब्रह्माण्ड तथा आकाश में हूं l न मैं भृकुटी में रहता हूं न भंवर गुफा में रहता हूं और न नाभि के पास कुंडलिनी आदि में रहता हूं l

यदि कोई खोजी हो तो उसे एक क्षण की तलाश में तुरंत मिल जाऊं l #कबीर_साहेब कहते हैं कि हे संतो ! सुनो, आत्म अस्तित्व तो सब श्वासों के श्वास में है l
लोग परमात्मा, ईश्वर, ब्रह्म, खुदा, गॉड, मोक्ष, परमपद बाहर खोजते हैं l यह उनका भ्रम है l जो खोज रहा है वह स्वयं परम सत है l दृष्टि बाहर से लौटाये और अपने आप पर ध्यान दे तो बाहर से कुछ पाना नहीं रहेगा l सारी इच्छाएं छोड़ देने पर छोड़ने वाला द्रष्टा जीव स्वयं शिव है l अपने आपको ठीक से समझना चाहिए और सांसारिक इच्छाएं छोड़ना चाहिए l

#कहत_कबीर


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Comments

  1. कबीर दास जो ने सत्य कहा है

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  3. Saheb bandagi saheb 🙏

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